AMAN AJ

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आई नोट , भाग 11

अध्याय-2

    लक्ष्य और मकसद 
    भाग-4
    
    ★★★
   
    आशीष ने शैपिंग की बोतल की तरफ हाथ बढ़ाया और उसे खोलते हुए उसे दो गिलासों में अलग-अलग डाला। इसके बाद उसने एक गिलास श्रेया को दिया और एक गिलास खुद पकड़ लिया। 
    
    आशीष गिलास की तरफ देखते हुए अपने मन में बोला “यह जाम मेरे लक्ष्य और मकसद के नाम, जो फिलहाल इस वक्त मेरी आंँखों के सामने हैं, मगर ठीक कुछ देर बाद मेरी बाहों में होगा।”
    
    उसने चियर्स के अंदाज में उसे श्रेया की तरफ किया। श्रेया ने भी जवाबी प्रतिक्रिया दी और गिलास से गिलास को टकरा दिया। इसके बाद दोनों ने ही हल्के हल्के ट भरे।
    
    श्रेया गुट भरते हुए आरामदायक स्थिति में आई और आशीष से कहा “अगर तुम्हें एतराज ना हो तो क्या मैं तुमसे एक बात पूछ सकती हूं? ऐसी बात जो तुम्हारी पर्सनल जिंदगी से जुड़ी हुई है और शायद मुझे तुमसे पूछने भी नहीं चाहिए?”
    
    आशीष ने यह सुना तो वह अपनी आंखें छोटी कर मन में सोचने लगा “क्या तुम मुझसे यह पूछने वाली हो कि मैंने तुम्हारे पति का कत्ल क्यों किया? नहीं तुम यह सवाल कैसे पूछोगी? तुम्हें तो अभी तक पता ही नहीं तुम्हारे पति का कत्ल हो गया है।” इतना कहकर उसने आंखे ठीक की और कहा “हां क्यों नहीं?”
    
    श्रेया ने दोबारा एक गुट भरा और सवाल पूछते हुए पूछा “तुम लगभग 30 साल के होने के हो रहे हो, उसके बावजूद तुमने अभी तक शादी क्यों नहीं की? फिर कुंवारे होने के बाद मुझ में ऐसा क्या देखा जो मेरे शादीशुदा होने के वाबजूद मुझे प्रपोज कर दिया?”
    
    आशीष ने अपने गिलास को टेबल पर रखा और आमलेट के एक टुकड़े को काटकर उसे खाने लगा। टुकड़ा खाते हुए उसने कहा “वैसे तो तुमने एक सवाल का कहा था, मगर तुम दो सवाल पूछ चुकी हो। पहला सवाल यह है कि मैंने शादी क्यों नहीं की, और दूसरा सवाल यह है कि मेरा तुम्हें पसंद करने के पीछे क्या कारण था। हालांकि मुझे सिर्फ एक सवाल का जवाब देना चाहिए मगर मैं तुम्हें दोनों ही सवालों के जवाब दूंगा।” 
    
    आमलेट खाने के बाद उसने अपने गिलास को वापस उठा लिया। गिलास खाली हो चुका था तो उसने उसमें दोबारा शैंपिंग भर ली। श्रेया का गिलास खाली हो चुका था तो उसने श्रेया के गिलास को भी भर दिया।
    
    इसके बाद उसने बोतल नीचे रखी और सिर्फ अपने गिलास को पकड़ते हुए जवाब दिया “मेरे शादी ना करने की वजह को तुम मेरी पसंद या नापसंद मान सकती हो। दरअसल मुझे एक तरह की बीमारी है...” तभी उसने श्रेया की तरफ हलका अंदाज दिखाया “वह बीमारी नहीं जो लोगों को होती है। तुम इसे मेरी आदत समझ सकती हो। मेरी एक ऐसी आदत जिसमें दुनिया में काफी कम चीजें हैं जो मुझे पसंद आती है। तुम कह सकती हो कि मेरी पसंद लिमिटेड है, मैं हर चीज को पसंद नहीं कर पाता। यही वजह है कि पिछले कई सालों से मुझे कोई ऐसी लड़की ही नहीं मिली जिसे मैं पसंद कर सकुं। अब लड़की नहीं मिली तो शादी करने का सवाल ही नहीं उठता। यह तो था मेरे पहले सवाल का जवाब। अब उस सवाल का जवाब सुनो जिसमें तुमने यह पूछा कि मैंने तुम्हें शादीशुदा होने के बावजूद प्रपोज क्यों किया। इसकी वजह यह थी कि तुम मुझे पसंद आ गई थी। मैं जानता था कि मेरी पसंद लिमिटेड है, और तुम्हारे बाद शायद ही मुझे कोई और पसंद आए। इसलिए मैंने तुम्हें प्रपोज कर दिया।”
    
    “और जब मैंने तुम्हें मना किया, कहां कि मैं अपने पति से प्यार करती हूं तो तुम पर क्या बीती?”
    
    आशीष ने अपने कंधे उचकाए। कंधे उचकाते हुए वह बोला “कुछ खास नहीं, मैंने खुद को नार्मल रखा। एक बिजनेसमैन होने की वजह से मुझे अक्सर हां या ना वाले मामले में सामने वाले पक्ष के द्वारा लिए जाने वाले फैसले को स्वीकार करना पड़ता है। मुझे शुरु से ही इसकी आदत है तो कुछ खास फील नहीं हुआ।”
    
    आशीष अपनी बात कहने के बाद अपने कांच के गिलास की तरफ देखने लगा। कांच के गिलास की तरफ देखते हुए उसने अपने मन में कहा “लक्ष्य और मकसद... कभी कबार जब हम इसे हासिल करने पर होते हैं तो हमें सच्चाई भी छुपानी पड़ती है। अब मैं इसे नहीं बता सकता था की इसके ना करने के बाद मुझ पर क्या बीती थी। हालांकि मैं अपने ठडे व्यवहार को इस चीज के लिए श्रेय दूंगा कि मैंने खुद पर पूरा नियंत्रण रखा, मगर मेरे शैतानी दिमाग ने तो अपना काम किया ना। मैंने एक नकली लड़की को डिप्लाई किया, उसे इसके पति पर डोरे डालने के लिए कहा, दोनों के बीच दरार डाली, आखिर में पति को निपटा भी दिया। मैं खुद पर भरोसा कर सकता हूं, मगर मेरा शैतानी दिमाग, मेरा शैतानी दिमाग जिसे हर चीज हासिल करने की आदत है जो वो पसंद करता है, मैं उस पर भरोसा नहीं कर सकता। लक्ष्य और मकसद में वह मेरी सबसे ज्यादा मदद करता है।”
    
    श्रेया का गिलास खत्म हो गया था। आशीष ने उसे दोबारा शैंपिंग से भर दिया। टेबल पर मौजूद आमलेट भी लगभग खत्म होने को था। कुछ देर तक दोनों में शांति छाई रही।
    
    श्रेया ने एक आमलेट के टुकड़े को काटा और उसे खाते हुए आशीष से पूछा “अच्छा, अब अगर मैं तुम्हारे उस प्रपोज के लिए हामी भर दूं तो तुम्हारा क्या फैसला रहेगा? क्या तुम अभी भी मुझे पसंद करते हो या नहीं?”
    
    आशीष को श्रेया से इस सवाल की उम्मीद नहीं थी। अचानक पूछे गए इस सवाल की वजह से उसके चेहरे के भाव बदल गए। उसके चेहरे पर ऐसे भाव आ गए थे जो उसे असमंजस की स्थिति में फंसा दिखा रहे थे। आशीष ने अपनी शॉपिंग ली और उसे पूरा खत्म करते हुए धीमे स्वर में जवाब दिया “तुम अगर 10 साल बाद आकर भी मुझे हां कर दो तब भी मैं तुम्हें पसंद करते हुए मिलता। मैं...” वह थोड़ा सीरियस हो गया था “तुम नहीं जानती मैं इमोशनली कैसा हूं। मैं.... मैं एक बार जिसे पसंद कर लेता हूं फिर उसे कभी भुला नहीं पाता।” उसका इमोशन शैपियन के नशे और श्रेया की कही गई बात की वजह से खुलकर बाहर आ रहा था। “तुम्हारे मामले में... तुम्हारे मामले में मैं तुमसे पहली नजर में ही प्यार कर बैठा था। उसी दिन... उसी दिन जिस दिन तुम इंटरव्यू के लिए मेरे यहां आई थी। मैंने तभी... मैंने तो तभी अपना सब कुछ तुम्हें दे दिया था। मैं.. मैं तुम्हें तभी हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकता था।” 
    
    श्रेया ने अपने लिए यह शब्द सुने तो वह भी पूरी तरह से पिघलने के मूड में आ गई। उसने एक नम और बैठे हुए गले से कहा “क्या सच में... क्या सच में मैं तुम्हें इतना पसंद आ गई थी...”
    
    इसके जवाब में आशीष ने हामी भरी और खिसकते हुए श्रेया के करीब हो गया। उसने अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाएं और श्रेया के गालो पर रखते हुए कहा “हां, इतनी ज्यादा की तुम सोच भी नहीं सकती।” इसके बाद आशीष ने पूछा “ अगर तुम मेरी हो जाओ तो क्या तुम मुझे कभी छोड़ कर तो नहीं जाओगी।”
    
    श्रेया ने अपनी आंखें बंद की और जवाब दिया “नहीं, कभी भी नहीं।”
    
    दोनों ही एक दूसरे में डूबते जा रहे थे। फिर ऊपर से शैपिगं का नशा तो था ही जो अब सर चढ़कर बोल रहा था। इस वजह से उन दोनों के बीच की दूरियां कम हुई और दोनों एक दूसरे के करीब आ गए। इतना करीब कि उनके बीच एक इंच तक का फासला नहीं रहा था। 
    
    ★★★
    
    अगली सुबह श्रेया की आंख खुली तो उसने खुद को बेड पर पाया। वह एक कंबल में मौजूद थी। उसके पास ही आशीष लेटा हुआ था। श्रेया ने पहले आशीष की तरफ देखा इसके बाद खुद की तरफ। दोनों ने ही कपड़े के नाम पर एक धागा तक नहीं पहन रखा था।
    
    यह देखते ही श्रेया सदमे में आई और अपने इर्द-गिर्द देखा। बेड के पास ही नीचे उसका तोलिया पड़ा था। उसने तोलिया उठाया और उसे लपेटती हुई खड़ी हो गई।
    
    खड़े होते ही उसने आशीष का नाम लिया “आशीष, आशीष..” और पूछा “कल रात हमारे बीच क्या हुआ था, मुझे बताओ आशीष कल रात क्या हुआ था?”
    
    आशीष आंख मसलते हुए उठा और श्रेया की तरफ देखने लगा। उसने ऐसे ही लेटे लेटे अलसाए से स्वर में कहा “क्या मतलब क्या हुआ था... हम दोनों एक साथ... एक बिस्तर..”
    
    “नहीं नहीं नहीं” श्रेया ने यह सुना तो और भी ज्यादा सदमे में आ गई “मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं, मैं अपने पति को धोखा कैसे दे सकती हूं, यह मैंने क्या किया, ओह नहीं, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।” वह रोने वाली हालत में पहुंच गई।
    
    आशीष बेड से उठा और उसने कंबल ऊपर ओढते हुए खुद को श्रेया के पास किया। श्रेया के पास जाकर उसने उसके कंधे को छूते हुए कहा “यह अब तुम कैसी बातें कर रही हो, कल रात तक तो ऐसा नहीं था, कल तो तुम खुद इसमें बढ़-चढ़कर साथ दे रही थी।”
    
    मगर श्रेया पीछे की तरफ हुई और उसके हाथ को हटाते हुए खुद को दूर कर लिया। दूर करने के बाद वह बोली “प्लीज तुम मुझसे दूर रहो, मेरे पास मत आओ, जो भी कहना है दूर से कहो।” इसके बाद उसने सिसकी भरी और सिसकी भरते हुए कहा “मुझे तो इस बात की उम्मीद ही नहीं थी तुम ऐसा कुछ करोगे, मैंने तुम पर सबसे ज्यादा विश्वास किया था, ‌ विश्वास था इसीलिए तुम्हारे पास आई थे, मगर तुम, तुमने मेरे साथ ही धोखा किया।”
    
    “व्हाट द फक...” आशीष ने यह सुना तो उसके चेहरे के रंग बदल गए। उसे गुस्सा आ रहा था “यह तुम कैसी टीवी सीरियल वाली बात कर रही हो। मैंने तुम्हारे साथ किसी भी तरह की जोर जबरदस्ती नहीं की, तुमने आगे से पहल की थी तब मैं, तब मैंने यह किया था। तुम मुझे इन सब का जिम्मेदार नहीं ठहरा सकती।”
    
    “मैं नहीं जानती। मैं कुछ भी नहीं जानती। मुझे अपनी पति के पास जाना है। बस तुम अभी के अभी मुझे मेरे पति के पास छोड़ आओ।”
    
    “तुम्हारे पति के पास छोड़ आओ... अब इससे क्या मतलब... कल तुमने मुझसे कहा था कि तुम मुझे छोड़कर कभी नहीं जाओगी। मैंने कल तुम्हें, कल तुम्हें अपने इमोशन के बारे में बताया था, यह बताया था कि मैं तुम्हारे बारे में क्या सोचता हूं, इसके बाद भी, इसके बाद भी तुम यह कैसे कह सकती हो।” आशीष के चेहरे का गुस्सा अब दुख और गुस्से दोनों के दोनों का मिश्रण बन चुका था।
    
    श्रेया ने ना में सिर हिलाया और दरवाजे की तरफ चलती हुई बोली “मुझे कुछ भी याद नहीं, मुझे बस अपने पति के पास जाना है...”
    
    यह कहते हुए वह आशीष के पास से गुजरने लगी तो आशीष ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसे बालों से पकड़ते हुए उसके सर को जोर से पास की दीवारों पर दे मारा। सब कुछ तेजी के साथ हुआ था। इतनी तेजी के साथ श्रेया को कुछ समझ नहीं आया उसके साथ क्या हुआ क्या नहीं। आशीष ने तुरंत श्रेया के सर को पीछे किया और दोबारा उसे दीवार से भिड़ा दिया। ऐसा उसने छह से सात बार किया। छह से सात बार करने के बाद उसने श्रेया के सर को दीवार से मारना छोड़ा और उसे नीचे फर्श पर गिरा दिया। फर्श पर गिराने के बाद वह गुस्से में बोला “तुम्हें अपने पति के पास जाना था ना, लो‌ जाओ, अपने पति के पास।”
    
    ★★★


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1 Comments

Aliya khan

03-Dec-2021 09:40 AM

क्या हुआ होगा उसका हाल मारी तो नही गुस्से में ऐसे कदम लोग उठा देते हैं येभी नही सोचते इसका अंजाम क्या होगा आगे क्या हुआ जल्दी बताए

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